Rooh ki Talash main
रूह की तलाश में, रूह की तलाश में , भटक रहा हूँ दर बदर !!! कहते हैं लोग कि है वो कहीं मेरे ही अंदर , फिर भी न जाने क्यों ,मैं उससे मिल पाता नहीं ! कहनी हैं हज़ार बातें ,क्यों मैं उससे कह पाता नहीं !!!! अंश है मेरा ही वो, अंश है मेरा ही वो , फिर क्यों सामने वो आती नहीं ? साथ है मेरे ही वो , क्यों ये भरोसा दिलाती नहीं? किस बात का है डर उसे, जो भागती है यूँ हर पल? एक बार ही सही मिलाले मुझसे वो नज़र !!!! रूह की तलाश में भटक रहा हूँ दर बदर, कोई मिला दे उससे मुझे अब हो रहा हूँ मैं बेसबर ! रूह की तलाश में भटक रहा हूँ दर बदर !!!!! -------------- Rooh Ki talash main Rooh Ki talash main, bhatak raha hoon dar badar kehte hain log ki hai wo kahin mere hi andar phir b naa jaane kyun, main usse mil paata nahi? kehni hain jo hazar baaten, main usse keh paata nahi Ansh hai mera hi wo Ansh hai mera hi wo, phir